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कब बसे थे, के कब उजाड़े गए
हम फसाद की तरह बिगाड़े गए
जम्हूरियत पर लगी जंग सियासती
फिर हम परत दर परत उखाड़े गए
कल उसने वहशत को ज़िहाद पढ़ा
के आज कुछ मासूम और मारे गए
परदेस, मिट्टी को पहचान बना देता है
जब भी गए, माँ के नाम से पुकारे गए
उम्र भर हुक्मरानों के पासबाँ बने रहे
जो आज प्यादों की तरह नकारे गए
गलती की, गलत को गलत कह दिया
हम हर एक गलती के लिए सुधारे गए
कब बसे थे, के कब उजाड़े गए...
- साकेत
जम्हूरियत - democracy
सियासत - politics
वहशत - savageryहुक्मरान - ruler, king
पासबाँ - protector, guard/sentinel

6 comments
Behtareen ��
ReplyDeleteMeans a lot. Stay tuned!
DeleteKab base the k kb ujadh gye
ReplyDeleteHam fasad ki tarah bigaade gye...
DeleteStay tuned!
👏 expecting more works from you
ReplyDeletestay tuned 😇😇
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