Song : आयत
Movie/Album: बाजीराव मस्तानी (2015)
Music By: संजय लीला भंसाली
Lyrics By: ए.एम. तुराज़
Performed By: अरिजीत सिंह
Original Version |
Extended Creation |
तुझे याद कर लिया है-2 आयात की तरह
कायाम तू हो गयी है-2 रिवायत की तरह मरने तलक रहेगी-2 तू आदत की तरह तुझे याद कर लिया है-2 आयात की तरह
ये तेरी और मेरी मोहब्बत हयात है हर लम्हा इसमें जीना मुक़द्दर की बात है कहती है इश्क़ दुनिया जिसे मेरी जान-ए-मन इस एक लफ्ज़ में ही छुपी क़ायनात है
मेरे दिल की राहतों का तू ज़रिया बन गयी है तेरी इश्क़ की मेरे दिल में कई ईद मन गयी है तेरा ज़िक्र हो रहा है-2 इबादत की तरह तुझे याद कर लिया है आयात की तरह
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तेरी जुस्तजू में हां कितने सजदों में मैं झुका हूँ तेरी कशिश है कुछ ऐसी तेरा कब से हो चुका हूँ तू मिल रही है मुझको-2 इनायत की तरह तुझे याद कर लिया है आयत की तरह
- साकेत |
जब तन्हा रात के प्यालों में,
चाँद कोई उतरता है
और तंग नींद के दामन में,
ख़्वाब कोई निखरता है
ठंडी काली सड़कें जब,
चलते-चलते थम जाती हैं
मैं तुम से मिल कर के तुम में,
पल-पल गुम हो जाता हूँ
जब गर्म रेत से साहिल पर,
समंदर नर्म बिखरता है
देकर ख़ुशियाँ पल भर की,
पल भर बाद बिछड़ता है
तेज़ लहरों की शोर में जब,
ये किस्से नम हो जाते हैं
मैं तुम से मिल कर के तुम में,
पल-पल गुम हो जाता हूँ
जब पूस की कड़वी रातों में,
हवाएँ ख़ुश्क हो जाती हैं
और बहारों की तितलियाँ,
मायूस कहीं सो जाती हैं
अश्क़ से मोती आकर के,
तब पत्तों पर बिछ जाते हैं
मैं तुम से मिल कर के तुम में,
पल-पल गुम हो जाता हूँ
जब कभी पुरानी यादों से,
ख़्याल कोई चुराता हूँ
बैठा तन्हा दरिया पर,
मैं रेत सा घुलता जाता हूँ
फिर बैठे-बैठे सुबह-ओ-शाम,
जब देर रात हो जाती है
मैं तुमसे मिल कर के तुम में,
पल-पल गुम हो जाता हूँ
- साकेत
ख़ुश्क - dry
अश्क़ - tears
कुछ अदना से हैं, कुछ बचकाने
बेहिसाब ही तो हैं,ख़्वाब ही तो हैं वो तुम्हारी सवाल करती आँखें,
मेरी आंखों में, जवाब ही तो हैं
भूखी सो जाती है मेरी राह देखते
मां की कुछ आदतें, ख़राब ही तो हैं
मुट्ठी में कायनात समेटने जैसा है
कहने को वैसे, क़िताब ही तो हैं
बनके खुशबू बिखरे हैं ताउम्र
जो सूख चले है, गुलाब ही तो हैं
क्या सबूत चाहिए तुझे और मुंसिफ!
सड़कों पे बिखरा है, शहाब ही तो है
ग़ालिब! वो फ़कीर जो शहंशाह था
ये नज़्म ये गज़लें, निसाब ही तो हैं
मुंसिफ - judge
शहाब - dark red colour
निसाब - wealth, fortune
मिट्टी तेज़ाब, नदी तालाब ज़हर हो गए
ये जंगल देखते देखते शहर हो गए
नंगे पैर तले, नर्म मिट्टी, पत्तों की कालीन थी
वो मखमल के रास्ते, चुभते डामर हो गए
पूस की रात, फूस की छत, सारे उतर आते थे
कंक्रीट की छत है अब, तारे किधर खो गए
गोदने की तरह, इस जंगल के जेवर थे
हिना बन उजड़े उखड़े, कबीले बिख़र जो गए
चावल मोती देने वाले, अब लोहा-कोयला उगलते हैं
ए बिकास देबता! हमिन कर झूम खेत बंजर हो गए
ये जंगल देखते देखते शहर हो गए ।
कालीन - carpet
डामर - bitumen
पूस की रात - winter night
गोदना - a kind of permanent body tattoo
हिना - a temporary decorative body art
कबीला - tribe
बिकास देबता ( विकास देवता ) - god of development
हमिन कर - our
झूम - a form of shifting cultivation