मिट्टी तेज़ाब, नदी तालाब ज़हर हो गए
ये जंगल देखते देखते शहर हो गए
नंगे पैर तले, नर्म मिट्टी, पत्तों की कालीन थी
वो मखमल के रास्ते, चुभते डामर हो गए
पूस की रात, फूस की छत, सारे उतर आते थे
कंक्रीट की छत है अब, तारे किधर खो गए
गोदने की तरह, इस जंगल के जेवर थे
हिना बन उजड़े उखड़े, कबीले बिख़र जो गए
चावल मोती देने वाले, अब लोहा-कोयला उगलते हैं
ए बिकास देबता! हमिन कर झूम खेत बंजर हो गए
ये जंगल देखते देखते शहर हो गए ।
- साकेत
कालीन - carpet
डामर - bitumen
डामर - bitumen
पूस की रात - winter night
गोदना - a kind of permanent body tattoo
हिना - a temporary decorative body art
हिना - a temporary decorative body art
कबीला - tribe
बिकास देबता ( विकास देवता ) - god of development
हमिन कर - our
झूम - a form of shifting cultivation
2 comments
Nice lines based on current scenario.
ReplyDeleteधन्यवाद अपूर्व!
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