मंदिरों में ढूंढते रहे हम, उसे मस्जिदों में ढूंढते रहे
जो बहता था संग हवाओं के, उसे बंद कमरों में ढूंढते रहे |
जिंदगी मिला करती थी कभी मुझसे, मेरे गाँव की गलियों में
इक हम थे जो ताउम्र उसे, इन शहरों में ढूंढते रहे |
सौ बातें कर जाती थी वो, एक नज़र के झोंके से
जो बात हसीं थी 'उस' चेहरे में, उसे हसीं चेहरों में ढूंढते रहे |
रेत बने घरोंदों को देख, कोई हँसी कहीं खिल जाती थी
साहिल बैठी रोती रही 'वो', जिसे हम लहरों में ढूंढते रहे |
इक छोटी सी चिड़िया भी थी, घर मेरे कभी आती थी
जो उम्र गुज़री, तो याद पड़ी, उसे हम शज़रों में ढूंढते रहे |
वो चाँद था 'किसी' रात का, सुबह तक मेरी खातिर रुकता था
भूल हुई, ज़रा-सी देर हुई हम, उसे दोपहरों में ढूंढते रहे |
Ghazal
जो बहता था संग हवाओं के, उसे बंद कमरों में ढूंढते रहे |
जिंदगी मिला करती थी कभी मुझसे, मेरे गाँव की गलियों में
इक हम थे जो ताउम्र उसे, इन शहरों में ढूंढते रहे |
सौ बातें कर जाती थी वो, एक नज़र के झोंके से
जो बात हसीं थी 'उस' चेहरे में, उसे हसीं चेहरों में ढूंढते रहे |
रेत बने घरोंदों को देख, कोई हँसी कहीं खिल जाती थी
साहिल बैठी रोती रही 'वो', जिसे हम लहरों में ढूंढते रहे |
इक छोटी सी चिड़िया भी थी, घर मेरे कभी आती थी
जो उम्र गुज़री, तो याद पड़ी, उसे हम शज़रों में ढूंढते रहे |
वो चाँद था 'किसी' रात का, सुबह तक मेरी खातिर रुकता था
भूल हुई, ज़रा-सी देर हुई हम, उसे दोपहरों में ढूंढते रहे |
- साकेत
4 comments
Awesome!
ReplyDeleteI'm a huge fan of this blog. I never forget to share the writeups on twitter.
This one left me speechless. Thank you. You made my day.
When I counted I got 29 words, when I pasted it to Microsoft Word it read 28 words...
DeleteSo be it..
These 29 words from you mean a lot to me. Thank you for being associated with this blog. The feeling is mutual. This made my day. Stay Tuned!
:)
A huge fan of your poetry . Motivating, refreshing , connecting.
ReplyDeleteGreat work , keep it up .
Expecting more to come ��
This means a lot. Stay tuned!
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