ढूंढते रहे...
मंदिरों में ढूंढते रहे हम, उसे मस्जिदों में ढूंढते रहे
जो बहता था संग हवाओं के, उसे बंद कमरों में ढूंढते रहे |
जिंदगी मिला करती थी कभी मुझसे, मेरे गाँव की गलियों में
इक हम थे जो ताउम्र उसे, इन शहरों में ढूंढते रहे |
सौ बातें कर जाती थी वो, एक नज़र के झोंके से
जो बात हसीं थी 'उस' चेहरे में, उसे हसीं चेहरों में ढूंढते रहे |
रेत बने घरोंदों को देख, कोई हँसी कहीं खिल जाती थी
साहिल बैठी रोती रही 'वो', जिसे हम लहरों में ढूंढते रहे |
इक छोटी सी चिड़िया भी थी, घर मेरे कभी आती थी
जो उम्र गुज़री, तो याद पड़ी, उसे हम शज़रों में ढूंढते रहे |
वो चाँद था 'किसी' रात का, सुबह तक मेरी खातिर रुकता था
भूल हुई, ज़रा-सी देर हुई हम, उसे दोपहरों में ढूंढते रहे |
जो बहता था संग हवाओं के, उसे बंद कमरों में ढूंढते रहे |
जिंदगी मिला करती थी कभी मुझसे, मेरे गाँव की गलियों में
इक हम थे जो ताउम्र उसे, इन शहरों में ढूंढते रहे |
सौ बातें कर जाती थी वो, एक नज़र के झोंके से
जो बात हसीं थी 'उस' चेहरे में, उसे हसीं चेहरों में ढूंढते रहे |
रेत बने घरोंदों को देख, कोई हँसी कहीं खिल जाती थी
साहिल बैठी रोती रही 'वो', जिसे हम लहरों में ढूंढते रहे |
इक छोटी सी चिड़िया भी थी, घर मेरे कभी आती थी
जो उम्र गुज़री, तो याद पड़ी, उसे हम शज़रों में ढूंढते रहे |
वो चाँद था 'किसी' रात का, सुबह तक मेरी खातिर रुकता था
भूल हुई, ज़रा-सी देर हुई हम, उसे दोपहरों में ढूंढते रहे |
- साकेत