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Friday, September 19, 2014
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Saket
तुम
Saket Kumar
Friday, September 19, 2014
1 comment
अधूरा चाँद
पूरा आकाश
दूधिया रोश्नी
जूझता प्रकाश
बुझता दीपक
अँधेरा...
मिटाने का प्रयास
जागती रातें
सवेरे की आस
हर रात...
अकेला मैं
मेरे साथ
'तुम'
-
साकेत
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1 comments:
Unknown
November 13, 2016 at 10:59 AM
Kya baat h saket sir..
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Kya baat h saket sir..
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