याद है हमें वो सड़कों का...
यूँ वीरान हो जाना
टीवी कि दुकानों पर लोगों का...
घंटों मेहमान हो जाना...
आदतन सुना करते थे रेडियो पर
किस्से उन पारियों के...
आज फिर उन आदतों का
यूँ बेईमान हो जाना...
वक्त चलता है और साथ चलते हैं हम.....वक्त बदलता है, हम बदलते हैं और बदलती हैं हमारी आदतें | आदतें....कुछ आदतें जो कभी इतने करीब थी....वक्त की रेत में बह कर....दूर....थोड़ी दूर.....बहुत दूर....होती चली जाती हैं | पुरानी आदतें चली जाती हैं...और नयी आदतें उनकी जगह ठीक वैसे ही ले लेती हैं जैसे कि कोई मकान खाली होने पर नए किरायेदार और 'मॉडर्न' आशिकों का दिल खाली होने पर नयी नवेली गर्लफ्रेंड....तो आदतें वैसी ही होती हैं जैसे कोई गटबंधन सरकार जिसकी बागडोर निर्दलियों के हाथ हो.....जिनके जाने में ज़्यादा वक्त नहीं लगता....
अगर कोई चीज़ है जो देर से जाती है तो वो है लत.....नशा !
छुड़ाए नहीं छूटती है ये लत....चली भी जाए तो असर देर तक रहता है....दूर तक रहता है...
ऐसे ही किसी लत का नाम है सचिन रमेश तेंदुलकर....
२४ साल वाकई बहुत लंबा सफर होता है....ऐसा सफर जो कि मैं भी आज तक पूरा नहीं कर पाया हूँ....फर्क इस बात से नहीं पड़ता कि मैं ये सफर पूरा नहीं कर पाया.....कर पाउँगा ....वाकई नहीं पड़ता है इससे कोई फर्क...फर्क इस बात से पड़ता है कि ये लत...ये नशा जो कि चौबीस साल से हर हिन्दुस्तानी के रग-रग में दौड़ता था....वो आज दूर होने जा रहा है....
आज सचिन अपना आखिरी टेस्ट खेल रहे हैं और हम सब इस लत....इस नशे की आखिरी खुराक ले रहे हैं....
असर कहाँ तक साथ होगा...कब तक साथ होगा......
ये सोच कर नशा कौन करता है भला??
तो उस चौबीस साल से साथ निभा रहे उस लत के नाम.....उस नशे के नाम जिसे लोग 'भगवान' कहते हैं.....सचिन रमेश तेंदुलकर के नाम....
पाँव ज़मीं पर होना,
आसमान बने रहना...
मुश्किल है सितारा होकर
इंसान बने रहना...
कि जानना भी सबकुछ,
फिर अनजान बने रहना...
मुश्किल है बहुत इस मुल्क में
'भगवान' बने रहना...
चौबीस साल खेलना,
उस खेल की शान बने रहना...
मुश्किल है वक्त की आंधी में
चट्टान बने रहना...
कि तूफ़ान टूट जाते हैं
साहिलों तक आते-आते...
मुश्किल है यूँ ज़ज्बों का
जवान बने रहना...
कि साँसें थाम देने का
हुनर वो खूब जानता था...
मुश्किल है अब साँसों का रुकना
और जान बने रहना...
मुश्किल नहीं यहाँ किसी हस्ती का
यूँ महान हो जाना...
मुश्किल है महान होना
और...महान बने रहना....
- साकेत
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