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ज़िंदगी आई है मिलने अनेकों इम्तिहान के बाद
जैसे आती हो ईद किसी रमज़ान के बाद
आज रुकेंगे, और खूब देखेंगे उस चाँद को हम
शायद! फिर वो नसीब न हो कल की अज़ान के बाद
- साकेत


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