परिंदे यहाँ हैं


सहरा है, समंदर है, गुज़र कहाँ है
परिंदे यहाँ हैं, उनका शज़र कहाँ है

हम गुम से हैं अब अपने ही शहर में
मकान ही मकान हैं, मेरा घर कहाँ है

तुम साथ होते, तो जहाँ भी जीत लेते
पत्थरों को तराशने का हुनर कहाँ है

मर्ज़ ये के उम्मीद लगा बैठा है जिंदगी से
दवा है, उसके हिस्से का ज़हर कहाँ है

अपने गिरेबान में झांका है, तो पाया है
खुदा का निशान तो है, बशर कहाँ है

परिंदे यहाँ हैं...

साकेत




सहरा - desert
शज़र - tree
गुज़र - way/path
बशर - humanity/mankind

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